भारत में जीएसटी लागू होने के बाद से GST Composition Scheme चलाई जा रही है। इस स्कीम का एक मात्र मकसद देश के व्यापारियों तथा कारोबारियों को GST की जटिल प्रक्रिया से मुक्ति दिलाना है।
जीएसटी काउंसिल की इस विशेष योजना का लाभ मुख्य रूप से ऐसे कारोबारियों को मिलता है, जो छोटा अथवा मध्यम दर्जे का कोई कारोबार चला रहे हैं।
जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद सबसे ज्यादा परेशानी छोटे और मंझोले स्तर के कारोबारियों को हुई है। जिसकी वजह से उनके व्यापार पर भी बहुत बुरा असर पड़ा है।
ऐसे व्यापारियों के कारोबार को बचाने के मकसद से GST Composition Scheme को लांच किया गया था।
जैसा कि आपको ऊपर बताया गया है, कि GST Composition Scheme को छोटे व मध्यम श्रेणीं के कारोबारियों को जीएसटी टैक्स प्रणाली की जटिलताओं से बचाने के लिये लांच किया गया है।
ऐसे व्यापारी जिनका वार्षिक टर्न ओवर 20 लाख रूपये से अधिक है, उन्हें GST Registration अनिवार्य रूप से कराना पड़ता है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने के बाद व्यापारियों का सामना इस प्रणाली की जटिलताओं से होता है। जिसकी वजह से व्यापारी अक्सर घबराहट महसूस करते हैं।
लेकिन सरकार ने जीएसटी कंपोजीशन स्कीम का एक बहुत ही अच्छा विकल्प व्यापारियों के सामने रखा है। जिसके बाद वह सामान्य जीएसटी प्रणाली का प्रयोग करने के बजाये। इसका लाभ उठा सकते हैं।
जीएसटी कंपोजीशन स्कीम के अंतर्गत पंजीकरण कराने वाले कारोबारियों को GSTR 1, 2, 3 के रिटर्न नहीं भरने पड़ते हैं।
इसके बजाये उन्हें प्रत्येक 3 माह में GSTR 4 भरना पड़ता है। यह एक तिमाही रिटर्न होता है। जिसमें उन्हें इस अवधि के दौरान होने वाले लेन देन तथा कुल कमाई की जानकारी देनी होती है।
(1) सामान्य जीएसटी प्रणाली में कारोबारियों को हर महीने GSTR के 3 रिटर्न फाइल करने पड़ते हैं। जबकि इस योजना के तहत तीन महीने में केवल एक ही रिटर्न फाइल करना होता है।
(2) सालाना 20 लाख रूपये से अधिक का कारोबार करने वाले व्यापारियों को इस योजना के तहत सीधी इंट्री मिलती है।
(3) इस योजना का लाभ शुरूआत से ही निर्माताओं और कारोबारियों को मिलता चला आ रहा है।
(4) अब सर्विस कंपनियां भी इस योजना का लाभ उठाने के लिये पूरी तरह स्वतंत्र है। पहले इस क्षेत्र की कंपनियों को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिलता था।
(5) इस योजना में शामिल लोगों को No Need to Upload Invoices का लाभ मिलता है।
(6) सामान्य जीएसटी प्रणाली के बजाये जीएसटी कंपोजीशन योजना के तहत कारोबार करना अधिक सरल है।
(7) इस योजना के तहत पंजीकृत लोगों को sales और Purchases की रसीदों को रिकार्ड रखने में छूट प्रदान की जाती है।
(1) GST Composition Tax Rules के तहत रिटर्न दाखिल करते समय, पिछले 3 महीनों में कारोबार के दौरान होने वाली कुल ब्रिकी पर एकमुश्त जीएसटी जमा करना होता है।
(2) जो कारोबारी बतौर Manufactures कारोबार कर रहे हैं और उन्होंनें जीएसटी कंपोजीशन स्कीम को अपनाया है। उन्हें अपनी प्रति तिमाही बिक्री का 2% जीएसटी चुकाना होता है। यह टैक्स एक प्रतिशत CGST तथा एक प्रतिशत SGST के रूप में जमा किया जाता है।
(3) वहीं वस्तुओं अथवा सेवाओं का कारोबार करने वाले कारोबारियों को इस योजना के तहत केवल 1% जीएसटी अदा करना होता है। यह 0.5 – 0.5% के बटवारे के आधार पर सेंट्रल तथा राज्य सरकारों के हिस्से में जाता है।
(4) जीएसटी कंपोजीशन स्कीम के तहत रेस्टोरेंट चलाने वाले लोगों को प्रति तिमाही आधार पर होने वाली कुल कमाई का 5% जमा कराना पड़ता है। जो 2.5% के रूप में आधा आधा राज्य व केंद्र सरकार के खाते में जाता है।
जीएसटी रजिस्ट्रेशन कौन कौन करा सकता है? यह एक बहुत ही महत्वपूर्णं सवाल है। इस संबंध में हम आपको अब तक की सबसे Latest Information देने जा रहे हैं।
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि जीएसटी कंपोजीशन स्कीम के तहत छोटे तथा मध्यम श्रेणीं के ऐसे कारोबारी जिनका सालाना टर्नओवर 20 लाख से अधिक है।
वह इस योजना के तहत अपना पंजीकरण करा सकते हैं। इसके अलावा पुरानी व्यवस्था के तहत सेवा क्षेत्र से Restaurant Operators को भी इस योजना के तहत पंजीकरण कराने की छूट प्रदान की गयी थी। लेकिन सर्विस सेक्टर के अन्य कारोबारियों को इस योजना का कोई लाभ नहीं मिलता था।
लेकिन इस साल 10 जनवरी 2019 को GST Council की एक बैठक में इस बात का फैसला किया गया कि वस्तु एवं सेवा दोनों में काम कारोबार कर रहे कारोबारियों को सभी श्रेणियों के कारोबार के साथ इस योजना के तहत जोड़ा जाएगा।
साथ ही यह फैसला भी हुआ था कि वस्तुओं के निर्माता तथा कारोबारियों के लिये सालाना टर्न ओवर भी एक करोड़ रूपये से बढ़ा कर 1.5 करोड़ कर दिया गया है।
इस फैसले के बाद से अब इस स्कीम के दरवाजे वस्तुओं के Manufactures और ट्रेडर्स के साथ साथ सर्विस कंपनियों के लिये भी खोल दिये गये हैं।
अब सर्विस कंपनियों को GST के मद में केवल 6% टैक्स का ही भुगतान करना पड़ेगा। इसके लिये आधिकारिक सर्कुलर भी जारी किया जा चुका है।
जो कारोबारी जीएसटी कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत हैं और इस योजना का लाभ उठा रहे हैं, उन्हें ग्राहकों को दिये जाने वाले बिल पर अलग से जीएसटी वसूल करने का अधिकार नहीं है।
मसलन किसी व्यक्ति ने आपके रेस्टोरेंट अथवा होटल में खाना खाया, और उसका बिल 200 रूपये हुआ, तो आप इसमें सामान्य जीएसटी प्रणाली के तहत 12 अथवा 18 प्रतिशत जीएसटी लगा कर बिल देने को बाध्य नहीं कर कर सकते हैं।
इस स्कीम के तहत पंजीकृत कारोबारियों को अलग से टैक्स Add करने की कोई छूट प्रदान नहीं की है। इसलिये आप ग्राहक से केवल 200 रूपये ही वसूल कर पायेंगें और इसमें सभी कर समाहित होंगें।
देश की सेवा प्रदाता कंपनियां जिनका सालाना राजस्व 50 लाख रूपये तक है, उन्हें GST Composition Scheme For Service Providers के तहत अपना रजिस्ट्रेशन 30 अप्रैल 2019 तक हर हाल में कराना होगा।
रजिस्ट्रेशन कराने की यह समय सीमा आगे बढ़ाई जा सकती है। लेकिन इसके लिये आपको जीएसटी कांउसिल के नये नोटीफिकेशन का इंतजार करना होगा।
जीएसटी कंपोजीशन स्कीम में सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों की पंजीकरण तिथि 30 अप्रैल निर्धारित है। आप इस अवधि के भीतर अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
जीएसटी कंपोजीशन स्कीम में Online Registration कराने के लिये आपको सबसे पहले gstcouncil.gov.in की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।
यहां आपको Any Other Supplier Eligible for Composition Levy पर Click करना होगा। इसके बाद आप GST CMP – 02 Form को 30 अप्रैल 2019 तक भर कर सबमिट करना होगा।
इसके बाद आप आपको रजिस्ट्रेशन नंबर प्रदान कर दिया जाएगा। जिस दिन आपको जीएसटी नंबर मिलेगा आपको उसी दिन से इस योजना का लाभ मिलना शुरू माना जाएगा।
इसके अलावा नये रजिस्ट्रेशन के लिये आवेदन करने वाले कारोबारी GST REG – 01 Form भर कर इस योजना के तहत अपना पंजीकरण करा सकते हैं।
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